चौठचन्द्र पूजा सामग्री
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शुद्ध मिट्टी (महादेव का स्वरुप बनावें)
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कुश (तेकुशा),अनामिका(कुश,ताँबा) अँगुली में धारण करने वाला
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गंगाजल
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अक्षत (वासमती चावल)
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श्रीखण्ड चंदन (उजला चंदन)
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रक्त चंदन (लाल चंदन)
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चन्द्रौटा (छोटा प्लेट)
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अर्घा (छोटा ग्लास)
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पञ्चपात
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आचमनि
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घण्टी
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सराई
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लाल सिन्दूर
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फूलक माला
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तुलसी माला
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बेलपत्र
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दुर्वा(दुइव)
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धूप
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दीप
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पान
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सुपाड़ी(कसैली)
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पंचमेवा (मिठाई)
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पाकल केरा
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पंचामृत(दुध,दही,घी,मधु, शक्कर)
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जनेऊ
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कर्पूर
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घी
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दक्षिणा-द्रव्य
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केला पत्ता
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शंख
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नया वस्त्र
चौठचन्द्र पूजा पद्धति
यह चौठचन्द्र पूजा विशेष कर संध्या(शाम) में करने का प्रावधान है। पूजन करने वाले पूरे दिन व्रत में रहेगें । किन्तु आवश्यकता अनुसार जरुरत हो तो फलाहार कर सकते हैं ।
व्रती शाम में स्नान करने के पश्चात नूतन वस्त्र या धुला हुआ वस्त्र धारण करेगें, तदनन्तर शुद्ध आसन पर पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठ जायेगें । अनन्तर शुद्ध जल में गंगाजल मिला देगें । तदनन्तर अरिपन के अनुसार पूजन सामग्री को सजाकर यथास्थान (फल का डाली तथा छाँछी(दही)) को रखेगें ।
उसके वाद कलश का अरिपन जो होगा उस पर दीपयुक्त कलश को रखेगें । उसके वाद दाहिने हाथ के मध्य अँगुली में कुश निर्मित पवित्री धारण करेगें,तथा दाहिने हाथ में तेकुशा(कुश) तथा जल को लेकर अपने शरीर को शिक्त करने से पूर्व इस मंत्र को पढ़ेंगे, अनन्तर शरीर को शिक्त करेंगे ।
नमो अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा ।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।।
नमो पुण्डरीकाक्षः पुनातु ।।
पञ्चदेवता पूजा:-
1. दाहिने हाथ में तेकुशा (कुश) तथा अक्षत लेकर ये मंत्र पढेंगे ।
नमः श्रीगणपत्यादिपञ्चदेवताः इहागच्छत इह तिष्ठत।
इसे केले के पत्ते पर उपर से बाएं तरफ से रखेंगे
2. अर्घा में जल लेकर ये मंत्र पढेंगे ।
एतानि पाद्यार्घाचमनीय-स्नानीय पुनराचमनीयानि नमो गणपत्यादि पंचदेवताभ्यो नमः।
3. दाहिने हाथ से फूल में चन्दन लगाकर ये मंत्र पढेंगे ।
इदमनुलेपनं नमो गणपत्यादि पंचदेवताभ्यो नमः
4. दाहिने हाथ से फूल में लाल चन्दन को लगाकर इस मंत्र को पढ़ेंगे ।
इदं रक्तचन्दनं नमो गणपत्यादि पंचदेवताभ्यो नमः ।
5. दाहिने हाथ में अक्षत लेकर ये मंत्र पढेंगे ।
इदमक्षतं नमो गणपत्यादि पंचदेवताभ्यो नमः।
6. दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को लेकर भगवान् का ध्यान करते हुए ये मंत्र पढेंगे ।
इदं पुष्पं /एतानि पुष्पाणि नमो गणपत्यादि पंचदेवताभ्यो नमः।
7. एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे ।
इदं दुर्वादलं / एतानि दुर्वादलानि नमो गणपत्यादि पंचदेवताभ्यो नमः।
8. एक बेलपत्र/बेलपत्रों को लेकर ये मंत्र पढेंगे ।
इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि नमो गणपत्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः।
9. एक तुलसीपत्र/तुलसीपत्रों को लेकर ये मंत्र पढेंगे ।
इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि नमो गणपत्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः।
10. अर्घा में जल लेकर ये मंत्र पढेंगे ।
एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप ताम्बूल यथाभाग
नानाविधि नैवेद्यानि नमो गणपत्यादि पंचदेवताभ्यो नमः।
11. अर्घा में जल को लेकर ये मंत्र पढेंगे ।
इदमाचमनीयं नमो गणपत्यादि पंचदेवताभ्यो नमः।
12. फूल हाथ में लेकर भगवान् का ध्यान करते हुए ये मंत्र पढेंगे ।
एष पुष्पांजलि नमो गणपत्यादि पंचदेवताभ्यो नमः।
विष्णु पूजा (विधवा स्त्री):-
1.दाहिने हाथ में तिल लेकर ये मंत्र पढेंगे -
नमो भगवन् श्रीविष्णो इहागच्छ इह तिष्ठ।
इसे केले के पत्ते पर ऊपर से बाएं तरफ से दूसरे स्थान पर रखेंगे।
2. अर्घा में जल लेकर ये मंत्र पढेंगे –
एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीय पुनराचमनीयानि नमो भगवते श्रीविष्णवे नमः
3. दाहिने हाथ से फूल में चन्दन लगाकर ये मंत्र पढेंगे –
इदमनुलेपनम् नमो भगवते श्रीविष्णवे नमः
4. दाहिने हाथ में तिल लेकर ये मंत्र पढेंगे –
एते तिलाः नमो भगवते श्रीविष्णवे नमः
5. दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को लेकर भगवान् का ध्यान करते हुए ये मंत्र पढेंगे -
इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि नमो भगवते श्रीविष्णवे नमः ।
6. एक तुलसीपत्र/तुलसीपत्रों को लेकर ये मंत्र पढेंगे –
इदं तुलसीपत्रं / एतानि तुलसीपत्राणि नमो भगवते श्रीविष्णवे नमः ।
7. एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे –
इदं दूर्वादलं / एतानि दूर्वादलानि नमो भगवते श्रीविष्णवे नमः ।
8. एक बेलपत्र/बेलपत्रों को लेकर ये मंत्र पढेंगे –
इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि नमो भगवते श्रीविष्णवे नमः ।
7. अर्घा में जल लेकर ये मंत्र पढेंगे –
एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि नमो भगवते श्रीविष्णवे नमः ।
8. अर्घा में जल को लेकर ये मंत्र पढेंगे –
इदमाचमनीयं नमो भगवते श्रीविष्णवे नमः ।
9. फूल हाथ में लेकर भगवान् का ध्यान करते हुए ये मंत्र पढेंगे –
एष पुष्पाञ्जलिःनमो भगवते श्रीविष्णवे नमः ।
गौरी पूजा(सधवा स्त्री):-
1. दाहिने हाथ में अक्षत लेकर यह मंत्र पढेंगे
नमो गौरि इहागच्छ इहतिष्ठत ।
इसे केले पत्ते पर ऊपर से बाएं तरफ से तृतीय स्थान पर रखेंगे।
2. अर्घा में जल लेकर यह मंत्र पढेंगे
एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीय पुनराचमनीय नमो गौर्यै नमः।
3. दाहिने हाथ से फूल में चन्दन लगाकर ये मंत्र पढेंगे
इदमनु लेपनं नमो गौर्यै नमः ।
4. दाहिने हाथ से फूल में सिन्दूर लगाकर ये मंत्र पढेंगे
इदं सिन्दुराभरणं नमो गौर्यै नमः ।
5. दाहिने हाथ में अक्षत लेकर ये मंत्र पढेंगे
इदमक्षतं नमो गौर्यै नमः ।
6. दोनों हाथों को जोड़ते हुए फूल/फूलों को लेकर गौरी का ध्यान करते हुए ये मंत्र पढेंगे ।
इदं पुष्पं/ एतानि पुष्पाणि नमो गौर्यै नमः ।
7. एक बेलपत्र/बेलपत्रों को लेकर ये मंत्र पढेंगे ।
इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि नमो गौर्यै नमः ।
8. एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे –
इदं दूर्वादलं / एतानि दूर्वादलानि नमो गौर्यै नमः ।
9. अर्घा में जल लेकर ये मंत्र पढेंगे ।
एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि नमो गौर्यै नमः।
10. अर्घा में जल को लेकर ये मंत्र पढेंगे –
इदमाचमनीयं नमो गौर्यै नमः ।
11. फूल हाथ में लेकर लक्ष्मी का ध्यान करते हुए ये मंत्र पढेंगे ।
एष पुष्पाञ्जलिः नमो गौर्यै नमः।
संकल्प:-
दाहिने हाथ में कुश-तिल-जल को लेकर अमुक मंत्र को पढते हुए –
नमोऽस्यां रात्रौ भाद्रे मासि शुक्ले पक्षे चतुर्थ्यां तिथौ,अमुक - गोत्रायाः मम - अमुकी – देव्याः सकल-कल्याण-उत्पत्ति-पूर्वक-धनधान्य-समृद्धि-सकलमनोरथ - सिद्ध्यर्थं यथाशक्ति गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल- यज्ञोपवीत-वस्र-नानाविध- नैवेद्यादिभिः रोहिणी- सहित - भाद्र - शुक्ल - चतुर्थी - चन्द्र - पूजनं (तत्कथाश्रवणं) चाहं करिष्ये ।
संकल्प करेंगे।
नोट- कथा पक्ष में (तत्कथाश्रवणं) शब्द का भी प्रयोग करेंगे।
चौठी चानक पूजा:-
1.दाहिने हाथ में अक्षत को लेकर चन्द्रमा का जहाँ अरिपन दिया गया है,उस जगह पर केला का पत्ता को रखकर इस मन्त्रों को
पढ़ेंगे ।
नमो रोहिणी- सहित -भाद्र -शुक्ल -चतुर्थी -चन्द्र इहागच्छ इहतिष्ठ।
2. दोनों हाथों को जोड़ते हुए श्वेत फूल/फूलों को लेकर ये मंत्र पढेंगे
श्वेताम्बरं स्वच्छतनुं सुधांशुं चतुर्भुजं हेमविभूषणाढ्यम्।
वरं सुधां दिव्यकमण्डलुञ्च करैरभीतिञ्च दधानमीडे।।
इदं ध्यानपुष्पम् नमो रोहिणी – सहित - भाद्र - शुक्ल - चतुर्थी - चन्द्राय नमः
3. अर्घा में जल लेकर ये मंत्र पढेंगे ।
नमः सोमाय सोमेश्वराय सोमपतये सोमसंभवाय गोविन्दाय नमो नमः ।
एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नाननीय पुनराचमनीयानि ।
नमो रोहिणी – सहित - भाद्र - शुक्ल - चतुर्थी - चन्द्राय नमः
4. जनेऊ को दाहिने हाथ में लेकर भगवान् का ध्यान करते हुए ये मंत्र पढेंगे –
नमो इमे यज्ञोपवीते बृहस्पतिदैवते नमो रोहिणी – सहित - भाद्र - शुक्ल - चतुर्थी - चन्द्राय नमः
5. अर्घा में जल को लेकर ये मंत्र को पढेगें ।
इदमाचमनीयम्- नमो रोहिणी – सहित - भाद्र - शुक्ल - चतुर्थी - चन्द्राय नमः
6. श्वेत (नूतन) वस्त्र लेकर ये मंत्र पढेंगे -
ओं इदं श्वेत वस्त्रं बृहस्पतिदैवतम् नमो रोहिणी – सहित - भाद्र - शुक्ल - चतुर्थी - चन्द्राय नमः
7. दाहिने हाथ से फूल में चन्दन लगाकर ये मंत्र पढेंगे ।
इदमनुलेपनम् नमो रोहिणी – सहित - भाद्र - शुक्ल - चतुर्थी - चन्द्राय नमः
8. दाहिने हाथ से फूल में लाल चन्दन लगाकर ये मंत्र पढेंगे
इदम रक्तानुलेपनम् नमो रोहिणी - सहित - भाद्र - शुक्ल - चतुर्थी - चन्द्राय नमः
9. दाहिने हाथ में अक्षत लेकर ये मंत्र पढेंगे
इदमक्षतं नमो रोहिणी - सहित - भाद्र - शुक्ल - चतुर्थी - चन्द्राय नमः
10. दोनों हाथों को जोड़ते हुए श्वेत फूल/फूलों को लेकर
इदं पुष्पं /एतानि पुष्पाणि नमो रोहिणी – सहित - भाद्र - शुक्ल - चतुर्थी - चन्द्राय नमः
11. एक दूर्वा/ अनेक दूर्वा को लेकर ये मंत्र पढेंगे –
इदं दूर्वादलं / एतानि दूर्वादलानि नमो रोहिणी – सहित - भाद्र - शुक्ल - चतुर्थी - चन्द्राय नमः
12. एक बेलपत्र/बेलपत्रों को लेकर ये मंत्र पढेगें –
इदं बिल्वपत्रं/ एतानि बिल्वपत्राणि नमो रोहिणी – सहित - भाद्र - शुक्ल - चतुर्थी - चन्द्राय नमः
13. अर्घा में जल लेकर ये मंत्र पढेगें –
एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल-यथाभाग-नानाविधनैवेद्यानि
नमो रोहिणी – सहित - भाद्र - शुक्ल - चतुर्थी - चन्द्राय नमः
14. पुनः अर्घा में जल को लेकर ये मंत्र को पढेगें –
इदमाचमनीयम् नमो रोहिणी – सहित - भाद्र - शुक्ल - चतुर्थी - चन्द्राय नमः
15. फुल को दाहिने हाथ में लेकर भगवान (चतुर्थी चन्द्र) को ध्यान करते हुए ये मंत्र को पढेगें ।
एष पुष्पाञ्जलिः नमो रोहिणी – सहित - भाद्र - शुक्ल - चतुर्थी - चन्द्राय नमः
ब्रह्मणपूजनम्:-
अर्घा में जल-अक्षत- फूल -चन्दन को मिलाकर ये मंत्र पढेगें –
ओं ब्रह्मणे नमः।
उक्त मंत्र पढकर जल-अक्षत- फूल -चन्दन को भूमि पर रखेंगे।
डाली उठाने के मन्त्र:-
घर के जितने भी सदस्य हो वो सभी पूजा में उपस्थित होने के बाद दाहिनें हाथ में एक - एक डाली (दधि,कदलीफल,नारिकेल इत्यादि) को लेकर चौठचन्द्र भगवान को ध्यान करते हुए अधोल्लिखित मन्त्र को पढ़ेंगे ।
नमो/ॐ
सिंहः प्रसेन - मवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीः तव ह्योषः स्यमन्तकः।।
दहीनें हाथ में दही को लेकर चौठचन्द्र भगवान को ध्यान करते हुए इस मन्त्र को पढ़ेंगे ।
नमों दिव्य - शङ्ख - तुषाराभं क्षीरोदार्णव - सम्भवम्।
नमामि शशिनं भक्त्या शम्भोर्मुकुटभूषणम् ।।
सभी अर्घ को उठाने के बाद पूजा के पास सभी डाली को जल लेकर उत्सर्ग करें ।
विसर्जन:-
दाहिनें हाथ में जल लेकर निम्नलिखित मन्त्रों को पढ़ेंते हुए क्रम से विसर्जन करेंगे ।
1.अर्घा में जल लेकरयह मंत्र पढेंगे और क्रम से भगवान गणपत्यादि पञ्चदेवता पर डालें।
नमो गणपत्यादि पञ्चदेवताः ! पूजिताः स्थ क्षमध्वम्, स्वस्थानं गच्छत
2. अर्घा में जल लेकर यह मंत्र पढेंगे और क्रम से भगवान विष्णु पर डालें।(विधवा पक्ष में)
नमो भगवन् विष्णो ! पूजितोऽसि प्रसीद क्षमस्व, स्वस्थानं गच्छ
3. अर्घा में जल लेकर यह मंत्र पढेंगे और क्रम से भगवती गौरी पर डालें।(सधवा पक्ष में)
नमो गौरि ! पूजितासि प्रसीद क्षमस्व ( मयि रमस्व )।
4.अर्घा में जल लेकरयह मंत्र पढेंगे और क्रम से भगवान (चतुर्थी चन्द्र) पर डालें।
नमो रोहिणी - सहित - भाद्रशुक्ल - चतुर्थी - चन्द्र पूजितोसि प्रसीद क्षमस्व स्वस्थानं गच्छ ।
5. अर्घा में जल लेकर यह मंत्र पढेंगे और क्रम से भगवान ब्रह्मा पर डालें।
ओं ब्रह्रान् !पूजितोऽसि,प्रसीद, क्षमस्व, स्वस्थानं गच्छ
दक्षिणा:-
दाहिने हाथ में कुश-तिल-जल-तथा दक्षिणा को लेकर इस मन्त्र को पढ़ेंगे ।
नमः अस्यां रात्रौ कृतैतत् रोहिणी - सहित - भाद्र - शुक्ल - चतुर्थी - चन्द्र - पूजन - (तत्कथा) श्रवण - कर्म – प्रतिष्ठार्थम् - एतावत् - द्रव्यमूल्यक -हिरण्यम् - अग्नि - दैवतं - यथानाम - गोत्राय ब्राह्मणाय दक्षिणामहं ददे ।
समाप्तम्
डॉ०अखिलेशकुमारमिश्रः,
अंशकालिक-सहायक-प्राचार्यः,
स्नातकोत्तर-वेदविभाग:,
*कामेश्वरसिंह-दरभङ्गा संस्कृत-विश्वविद्यालयः, कामेश्वरनगरम्, दरभङ्गा।