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तत्र कृतनित्यक्रियो व्रती मृन्मयीं कृष्णादिप्रतिमां प्रकल्प्य- सर्वप्रथम नित्यक्रिया करने के बाद पवित्रिकरण के बाद सूर्यादि पंचदेवता विष्णु पूजा के बाद संकल्प करें।

दाहिने हाथ के अनामिका अँगुली में कुश निर्मित पवित्री धारण करेगें,तथा दाहिने हाथ में तेकुशा(कुश) तथा जल को लेकर अपने शरीर को शिक्त करने से पूर्व इस मंत्र को पढ़ेंगे, अनन्तर शरीर को शिक्त करेंगे । ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा । यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।। ॐ पुण्डरीकाक्षः पुनातु ।।

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तत्र कृतनित्यक्रियो व्रती मृन्मयीं कृष्णादिप्रतिमां प्रकल्प्य- सर्वप्रथम नित्यक्रिया करने के बाद पवित्रिकरण के बाद सूर्यादि पंचदेवता विष्णु पूजा के बाद संकल्प करें।
